Friday 18 February 2011

देखा था पहली बार तुझे
कंप्यूटर लैब की क्लास में
सोचा बुलाऊ  तुझे ऊँची आवाज़ में
पर कमबख्त मेरा गला ही ख़राब था
और तू दिल की ट्राफ्फिक को भी जाम कर गयी
तू virus की तरह मेरी ज़िन्दगी में आई
और  मेरे दिल को hang  कर गयी


हम avira  समझे थे तू avast निकली
तुझे पानी समझा था तू आग निकली
हमने सोचा छोड़ो क्या  block  करना
एक corrupt  फाइल ही तो है
मगर तू तो viruson का बाप निकली


कभी हसा करते थे हम भी standby  पर
तू हमारी खुशिओं को shutdown कर गयी
तू virus की तरह मेरी ज़िन्दगी में आई
और मेरा दिल hang  कर गयी


तू problems  अपनी फीड कर गयी
तू खुशियाँ मेरी delete  कर गयी
तू इश्क ++ में programming  कर
कमबख्त मुझे cheat  कर गयी
कभी scan  करने की दिल हमारा
तुने कोशिश नहीं की
और कमबख्त मेरी pocket  को scan कर गयी
तू virus  की तरह मेरी ज़िन्दगी में आई
और मेरे दिल को hang कर gayi


हमे छोड़ अब तुने तुसरी कंपनी
का कनेक्शन लगा लिया
और प्यार वाली फाइल उनके नेटवर्क
से डाउनलोड कर ली
हम करते रहे scrab  तुझे
orkut  पे और तुने अपनी
id  ही change  कर ली
क अब तो warranty  नहीं हमारे जीने की
तू तो हमारे processor  को भी dam  कर गयी
क तू virus  की तरह मेरी ज़िन्दगी में आई
और मेरे दिल को hang  कर गयी


-स्नेहित सूर्यवंशी शर्मा
















कलम लिखने को उठा ली है
क अब दुनिया हिला देंगे
चमक भर देंगे इतनी की
जहाँ दीवाना हो जाये
क सूखे दिल की नदिओं में
भी प्यार की कश्ती बहा देंगे
कलम लिखने को उठा ली है
क अब दुनिया हिला देंगे